Are leaders and the people equal? क्या नेता जनता एक बराबर?

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नमस्कार सत्यम् एव अस्माकं धर्मः, इस वेबसाइट में यह मेरा पहला लेख है। लेख की शुरुवात एक छोटी सी कहानी से करना चाहूंगा।


“मैंने सुना है कि एक गाँव में चुनाव का मौसम आया था। हर घर में नेताओं के पोस्टर लगे हुए थे और हर कोई अपने पसंदीदा नेता को जीतने के लिए जुटा हुआ था। मंच पर खड़े नेताजी जोर-जोर से भाषण दे रहे थे, ‘मेरे प्यारे साथियों, मैं आपके लिए जान देने को तैयार हूँ। मैं आपके हर दुख-दर्द को समझता हूँ। मैं आपके लिए स्वर्ग से चाँद ला दूँगा।’ नीचे खड़े लोग तालियाँ बजा रहे थे। उन्हें इसीलिए रखा जाता हैं। बहरहाल, एक किसान ने अपने दोस्त से कहा, ‘वह नेताजी तो परमेश्वर बन गए हैं। नेता परमेश्वर ही होते हैं, फर्क बस इतना है कि सच्चा परमेश्वर इंसानों से कभी फरियाद नहीं करता और दूसरा सिर्फ चुनाव जीतने तक करता है।'”

photo- NDTV INDIA


नेता और प्रजा में कोई खास अंतर नहीं होता। ऐसी भी प्रजा होती है जो सब कुछ देखती है, परंतु अंधे होने का नाटक करती है, और नेता तो नाटक नहीं, लालच में अंधा होता है।


जनता तो वोट देकर चुप हो जाती है, मगर जनता के लिए आवाज उठाने वाले पत्रकार आज खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।


छत्तीसगढ़ में एनडीटीवी में काम करने वाले पत्रकार मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी, 2025 से लापता थे और 3 जनवरी को उनका शव एक सेप्टिक टैंक में मिला।

photo- mpcg.ndtv.in


यह बताकर मुझे हैरानी नहीं होती कि वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के अनुसार भारत 180 देशों में 159वें स्थान पर है। इससे पता चलता है कि यहां की पत्रकारिता किस दौर से गुजर रही है। जो पत्रकार भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं, उन्हें अपशब्द और जान का खतरा झेलना पड़ रहा है। वहीं, कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं जो सरकार का गुणगान करते हैं और हमेशा सरकार को बचाने में लगे रहते है। उनका मानना भी सही लगता है कि ‘जान है तो जहान है’।


यहां बहुत कम लोग ऐसे हैं जो अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। बाकी लोग तो सिर्फ झूठी अय्याशी में लगे हुए हैं। मगर कहते हैं न, जब खुद पर मुसीबत आती है तो पता चलता है।


चादर कोई और भेज रहा है, चढ़ा और दुआ दूसरा मांग रहा है, ठीक उसी तरह नेताओं की गलती है और जनता भुगत रही है।
और जनता अभी क्या कर रही है, मैं आपको ताज़ा खबर बताता हूँ।


हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में Satinder Sartaaj के Udaarian नाम के गाने पर कुछ पर्यटक मौज मस्ती के नाम पर हुड़दंग करते हुए कपड़े उतार कर नंगा नाच करते नजर आए।


पंजाबी गाना है सुनने में बहुत अच्छा है। हमारे प्रधानमंत्री भी पंजाबी सिंगर Diljit Dosanjh से मिले और उनसे गाना सुना।
प्रधानमंत्री अपने समय का सदुपयोग बहुत अच्छे ढंग से करते हैं। ऐसा उनके चाहने वाले कहते हैं। जब चाहत होती है तो कुछ गलत नज़र नहीं आता। किसी ने अगर गलत को गलत कहा तो सिर्फ वही गलत नज़र आता है।


एक उदाहरण से समझते है –


बागपत के अमीनगर सराय कस्बे में दो दसवीं कक्षा की लड़कियां एक ही लड़के से बातचीत करती थीं। जब दोनों को यह बात पता चली, तो सड़क पर दोनों बाल खींचकर लड़ने लगीं। यहां लड़का सही है चाहत होने की वजह से।


इस दुनिया में किसको सही कहें, किसको गलत? अपना गृहबाण किसी को नज़र नहीं आता। अगर हम अपनी गलतियाँ मान लें, तो मरने के बाद स्वर्ग का तो पता नहीं पर, यह धरती ही स्वर्ग बन जाता।


आखिर में एक छोटी सी कहानी से अपनी बात खत्म करता हूँ


एक बार एक फकीर अपना झोला लिए मंदिर के बाहर बैठा था। उतने में ही एक भक्त पूजा करके मंदिर से बाहर आया और फकीर को देखकर एक रुपया देने लगा। इतने में ही फकीर ने उसे टोका और बोला, “यह क्या दे रहे हो? अंदर तो लाखों की चीज मांग कर आए हो, और मुझे सिर्फ एक रुपया पकड़ा रहे हो? ऐसा नहीं चलेगा।” व्यक्ति बोला तुम भी क्या मुझ से मांग रहे हो अंदर जाओ और तुम भी लाखों पाओ।


हम इसी फकीर की तरह ही हैं जो वोट तो नेता को दे रहे है और फरियाद परमात्मा से कर रहे है।


आज के लिए बस इतना ही मेरे लेख को ध्यान पूर्वक पढ़ने के लिए धन्यवाद!!

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