आध्यात्मिक माध्यमों का उद्देश्य मनुष्य को अच्छे कर्म और विचारों से जीने के लिए प्रेरित करना है – पंडित वासुमोहन दुबे

कुम्हारी। निकटवर्ती ग्राम नंदौरी में 8 से 16 दिसंबर तक आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में कथावाचक पंडित वासुमोहन दुबे

ने श्रोताओं से गीता के संदेशों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया। कथावाचक ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा

कि कथा को गीता के संदेश के परिप्रेक्ष्य में ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक माध्यमों का उद्देश्य मनुष्य को

अच्छे कर्म और विचारों से जीने के लिए प्रेरित करना है। श्री कृष्ण की बाल लीला का वर्णन हुए कथावाचक ने कहा कि पूतना ने

सुंदर स्त्री का वेश धारण करके भगवान श्री कृष्ण को दूध पिलाया था। जो जैसा दिखता है वह हमेशा वैसा ही होता है, यह

जरूरी नहीं। ‘पूतना ‘ का शाब्दिक संधि-विच्छेद करने पर इसका अर्थ होता है ‘जिसका कोई पुत्र न हो’। चूंकि श्री कृष्ण ने

पूतना के स्तन से दूध पिया था, इसलिए पुतना के शव का दाह संस्कार करते समय सुगंधित धुआँ उठा था। भगवान प्रेम के भूखे

हैं। यह बात श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता से स्पष्ट होता है सच्चा संबंध कितना महत्वपूर्ण होता है। कथावाचक ने आगे कहा

कि गाँवों में आयोजित होने वाले श्रीमद् भागवत और रामायण जैसे धार्मिक कार्यक्रमों को केवल एक कार्यक्रम तक सीमित नहीं

समझना चाहिए। इनका उद्देश्य समाज में सद्भावना और एकता का वातावरण बनाना है। यह आयोजन बंछोर परिवार द्वारा

स्वर्गीय दल्लु राम बंछोर और स्वर्गीय भूखी बाई बंछोर की स्मृति में किया गया। इस आयोजन में विगत 14 दिसंबर को कवि

हेमलाल साहू ने अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को भावुक कर दिया।

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